Bageswardham

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History of Bageshwar Dham Dhirendra Krishna Shastri ji

History of Bageshwar Dham Dhirendra Krishna Shastri ji

History of Bageshwar Dham Dhirendra Krishna Shastri

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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर

"जिन पर भगवान राम कृपा करते हैं, उन पर सब कृपा करते हैं। जिनके हृदय में कपट और अहंकार नहीं होते, उनके लिए रघुराया (भगवान राम) स्वयं उपस्थित रहते हैं।"

सनातन धर्म, सत्य और ईश्वर के सर्वज्ञ, सर्वव्यापी तत्व का मार्ग दिखाता है, और संतों के माध्यम से इसका प्रकटीकरण होता है। इस लेख में हम बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन, कार्य और बागेश्वर धाम की विशेषताओं को विस्तार से जानेंगे।


धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 4 जुलाई 1996
  • जन्म स्थान: गढ़ा गांव, छतरपुर, मध्य प्रदेश
  • परिवार:
    • पिता: रामकृपाल गर्ग
    • माता: सरोज गर्ग (गृहिणी)
    • भाई: शालिग्राम गर्ग
    • बहन: रीता गर्ग
  • धार्मिक गुरु: दादा जी भगवान दास गर्ग (सिद्ध संत)
  • शिक्षा:
    • प्राथमिक शिक्षा: गढ़ा गांव के सरकारी स्कूल से
    • उच्च शिक्षा: छतरपुर से कला में स्नातक (B.A.)

धीरेंद्र शास्त्री का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उन्होंने गली-गली जाकर रामचरितमानस की चौपाइयां सुनाते हुए भिक्षा से जीविका चलाई। उनके दादा भगवान दास गर्ग से उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की दीक्षा मिली, जो उनके जीवन की दिशा बदलने वाला क्षण था।


बागेश्वर धाम की स्थापना

बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में स्थित है। यह बालाजी हनुमान का पवित्र स्थान है, जहां लोग अपनी मनोकामनाओं के समाधान के लिए आते हैं।

  1. विशेषताएं:
    • बागेश्वर धाम में मंगलवार और शनिवार को दिव्य दरबार लगता है।
    • भक्त लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी अर्जी लगाते हैं और 21 परिक्रमा करते हैं।
    • यहां लाखों श्रद्धालु अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए आते हैं।
  2. परंपरा का निर्वहन:
    धीरेंद्र शास्त्री के पूर्वजों ने तीन पीढ़ियों से बागेश्वर धाम में मानव कल्याण के लिए दरबार लगाया। उनके दादा के बाद, उनके पिता ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। अब धीरेंद्र शास्त्री स्वयं बागेश्वर धाम में दरबार लगाते हैं।

विशिष्ट पहचान और प्रसिद्धि

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की विशेषता यह है कि वे लोगों के मन की बात बिना बताए जान लेते हैं। उनकी इस अद्भुत क्षमता के कारण वे सोशल मीडिया और इंटरनेट पर छाए हुए हैं।


धीरेंद्र शास्त्री के सेवा कार्य

  1. गरीब कन्याओं का विवाह आयोजन:
    हर वर्ष वे जरूरतमंद लड़कियों का सामूहिक विवाह कराते हैं।
  2. स्वास्थ्य सेवा:
    • कैंसर अस्पताल निर्माण के लिए 9 एकड़ जमीन खरीदी गई है।
  3. शिक्षा का प्रचार:
    • वैदिक अध्ययन केंद्र की स्थापना की, जहां बच्चों को भारतीय संस्कृति और वेदों की शिक्षा दी जाती है।

धीरेंद्र शास्त्री के आध्यात्मिक गुरु

धीरेंद्र शास्त्री के आध्यात्मिक गुरु उनके दादा जी भगवान दास गर्ग हैं। उनके दादा को एक सिद्ध संत माना जाता था, जिन्होंने निर्मोही अखाड़े का दरबार लगाया था।


अलौकिक सिद्धियां और मन पढ़ने की क्षमता

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विषय में कहा जाता है कि वे बिना किसी संकेत के ही लोगों की समस्याएं समझ जाते हैं।

  • उनकी मन-पढ़ने की क्षमता को लेकर कई बार चर्चा और विवाद हुए हैं।
  • कुछ इसे सिद्धि मानते हैं, तो कुछ इसे मात्र अंतर्ज्ञान और अशाब्दिक संकेतों का उपयोग मानते हैं।

हालांकि, धीरेंद्र शास्त्री स्वयं कहते हैं कि यह सभी चमत्कार बालाजी हनुमान जी की कृपा से संभव हैं।


पुरस्कार और सम्मान

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को समाज में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:

  1. संत शिरोमणि
  2. वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन
  3. वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप

बागेश्वर धाम की मान्यता

बागेश्वर धाम में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए लाल कपड़े में नारियल बांधकर अर्जी लगाते हैं। मान्यता है कि जब किसी की अर्जी स्वीकार होती है, तो उसे सपने में तीन बंदर दिखाई देते हैं।


निष्कर्ष

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक ऐसे आध्यात्मिक संत हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान, सेवा कार्यों और दिव्य शक्ति के माध्यम से लाखों लोगों को राहत और समाधान प्रदान किया है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्य और बागेश्वर धाम की मान्यताएं उन्हें आध्यात्मिक जगत में विशेष स्थान दिलाती हैं।

"धर्म सत्य का मार्ग है, और वह सनातन है।"